...

3 views

जब जब फूल खिलेंगे
जब जब फूल खिलेंगे !

जब बहुत दिनो बाद मैं यहां नही दिखूंगा !

तब मैं हवाओं के साथ !

बहारों में मिल !

सरसराहट करता !

तुम्हारे पास से गुजरूंगा !

यकीन मानना !

तब तब फूल खिलेंगे।।


अकेले में गुनगुनाना !


जब तुम महसूस करोगे !

सांसों से निकलती हरेक !


खुशबू में !


मुझे साथ पाओगे !

यकीनन

तब तब फूल खिलेंगे।।

जब बहार आएगी !

हल्की सी फुहार के साथ !

गुलाब की पंखुड़ियों पर !


शर्दियों की सुबह ओस की बूंदों की तरह !


मैं साथ रहूंगा !


तब तब फूल खिलेंगे।।


यकीनन

वो कुछ पल का लेकिन !

सबसे खुशनुमा साथ होगा !


मैं फिर हवा के साथ !


धूप में ,गर्मी से कहीं इन्ही हवाओं में !


घुल जाऊंगा !


लेकिन मैं फिर आऊंगा !

यकीनन फूल खिलेंगे।।

मुझ पर उल्फत की शर्तें तोड़ने का

दाग है !

पर मैं अपना कितना भी जोर लगाऊं !


मैं नही टिक पाऊंगा !


यकीनन मैं बार बार आऊंगा !


तुमसे लिपट कर !


तुझमें समा जाना चाहूंगा !

और

तब तब फूल खिलेंगे।।


जब कभी कायनात मेहरबान होगा !


हम मिलेंगे !


तमाम युगों में !

जब कभी सौंदर्य की चर्चा होगी जमाने !

में तब हम दोनो की साथ होगी !


तब तब लोग कहेंगे !


तब तब फूल खिलेंगे।।