जब जब फूल खिलेंगे
जब जब फूल खिलेंगे !
जब बहुत दिनो बाद मैं यहां नही दिखूंगा !
तब मैं हवाओं के साथ !
बहारों में मिल !
सरसराहट करता !
तुम्हारे पास से गुजरूंगा !
यकीन मानना !
तब तब फूल खिलेंगे।।
अकेले में गुनगुनाना !
जब तुम महसूस करोगे !
सांसों से निकलती हरेक !
खुशबू में !
मुझे साथ पाओगे !
यकीनन
तब तब फूल खिलेंगे।।
जब बहार आएगी !
हल्की सी फुहार के साथ !
गुलाब की पंखुड़ियों पर !
शर्दियों की सुबह ओस की बूंदों की तरह !
मैं साथ रहूंगा !
तब तब फूल खिलेंगे।।
यकीनन
वो कुछ पल का लेकिन !
सबसे खुशनुमा साथ होगा !
मैं फिर हवा के साथ !
धूप में ,गर्मी से कहीं इन्ही हवाओं में !
घुल जाऊंगा !
लेकिन मैं फिर आऊंगा !
यकीनन फूल खिलेंगे।।
मुझ पर उल्फत की शर्तें तोड़ने का
दाग है !
पर मैं अपना कितना भी जोर लगाऊं !
मैं नही टिक पाऊंगा !
यकीनन मैं बार बार आऊंगा !
तुमसे लिपट कर !
तुझमें समा जाना चाहूंगा !
और
तब तब फूल खिलेंगे।।
जब कभी कायनात मेहरबान होगा !
हम मिलेंगे !
तमाम युगों में !
जब कभी सौंदर्य की चर्चा होगी जमाने !
में तब हम दोनो की साथ होगी !
तब तब लोग कहेंगे !
तब तब फूल खिलेंगे।।
जब बहुत दिनो बाद मैं यहां नही दिखूंगा !
तब मैं हवाओं के साथ !
बहारों में मिल !
सरसराहट करता !
तुम्हारे पास से गुजरूंगा !
यकीन मानना !
तब तब फूल खिलेंगे।।
अकेले में गुनगुनाना !
जब तुम महसूस करोगे !
सांसों से निकलती हरेक !
खुशबू में !
मुझे साथ पाओगे !
यकीनन
तब तब फूल खिलेंगे।।
जब बहार आएगी !
हल्की सी फुहार के साथ !
गुलाब की पंखुड़ियों पर !
शर्दियों की सुबह ओस की बूंदों की तरह !
मैं साथ रहूंगा !
तब तब फूल खिलेंगे।।
यकीनन
वो कुछ पल का लेकिन !
सबसे खुशनुमा साथ होगा !
मैं फिर हवा के साथ !
धूप में ,गर्मी से कहीं इन्ही हवाओं में !
घुल जाऊंगा !
लेकिन मैं फिर आऊंगा !
यकीनन फूल खिलेंगे।।
मुझ पर उल्फत की शर्तें तोड़ने का
दाग है !
पर मैं अपना कितना भी जोर लगाऊं !
मैं नही टिक पाऊंगा !
यकीनन मैं बार बार आऊंगा !
तुमसे लिपट कर !
तुझमें समा जाना चाहूंगा !
और
तब तब फूल खिलेंगे।।
जब कभी कायनात मेहरबान होगा !
हम मिलेंगे !
तमाम युगों में !
जब कभी सौंदर्य की चर्चा होगी जमाने !
में तब हम दोनो की साथ होगी !
तब तब लोग कहेंगे !
तब तब फूल खिलेंगे।।