...

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पछतावा
ऐ पेड़
मैं जानता हूं कि तूने संघर्ष किया काफी
जिंदा रहने के लिए
तुम बढ़ रहे थे लहलहाते पत्तों के साथ
उन्मुक्त कि मैं भी बड़ा हूंगा
मैं खिलूंगा बड़े पेड़ों की तरह
कुसुमित और मुझमें
लगेंगे बड़े-बड़े फल, पके, पीले और मीठे
सोच रहे थे - मैं
खिलाऊंगा उस माली को
उसके बेसहारा बच्चों को
जिन्हें अन्नका दरश नहीं
हो फल की प्राप्ति कहां
कितना हर्षित होगा...