...

3 views

बेबस मोहब्बत
प्यार में उसके दीवाना हो गया हूँ
क्या था क्या से क्या हो गया हूँ मैं

हर हद से गुज़र गया उसके लिए
उसका होकर भी उसका ना हो पाया हूँ मैं

नज़र आती नहीं वो,जहाँ कहीं नज़र जाती मेरी
नज़रे मेरी तलाश में उसके,सारी-सारी वक्त रहती

ढुढ़ती उसे दर बदल पागलों की तरह
ना मिलने पर हद से ज़्यादा बेकरार रहता मैं

मोहब्बत है तुमसे हद से ज़्यादा
यह बात तुमसे आख़िर कैसे कहूँ मैं?

छोड़ दो तुम हट अपनी,दूर रहने की मुझसे
बुलाने पे पास मेरे आ जाती आख़िर क्यों नहीं?

माफ़ कर ग़लती मेरी,मुझे अपना ले
फ़िर चाहे जितनी तू मुझे सज़ा क्यों ना दे?

पास आजा मेरे,आकर तबाह होने से बचा ले
मेरे जीते जी मुझे अपना कर अपना बना ले

प्यार में तेरे इतना दीवाना हो गया हूँ मैं
आख़िर क्या था क्या से क्या हो गया हूँ मैं