...

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कभी सुन लें, समझ जायें ?
ये जो ख़्वाबों की बातें है,
कभी सुन ले, समझ जायें?
मगर फिर क्या करें, रोयें?
या ख़ुद को बेच ही डालें ?

वो जो आँखों में, दिल में है,
किसी को कह तो हम आयें,
मगर जो दिल में बैठा है,
वो जुबाँ पर भी ज़रा आये ।

हम ख़ुद की ख़्वाहिश को,
ख़ुद को भी बता तो दे,
मगर सोंचे की क्या होगा ?
फिर सोंचे क्या बोलें ।

तुमसे आशिक़ी मेरी,
मुझसे आशिक़ी तेरी,
दोनों ही झटपट थी,
क्यों बोलें के क्यों निपटें ।

दग़ा देता है सूरज भी,
बादलों में कहीं छुपकर,
मुझे शिक़वा है तुम से क्या,
जो अब तूम भी दग़ा निकले ।

मगर फिर भी इन आँखों में,
है सब अच्छे, है सब बेहतर,
ये जो ख़्वाबों की बातें हैं,
कभी सुन ले, समझ जायें ?

#hindi #indianbard