...

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कभी सुन लें, समझ जायें ?
ये जो ख़्वाबों की बातें है,
कभी सुन ले, समझ जायें?
मगर फिर क्या करें, रोयें?
या ख़ुद को बेच ही डालें ?

वो जो आँखों में, दिल में है,
किसी को कह तो हम आयें,
मगर जो दिल में बैठा है,
वो जुबाँ पर भी ज़रा आये ।

हम ख़ुद की ख़्वाहिश को,
ख़ुद को भी...