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कहाँ से लाऊँ ऐसे शब्द
कहाँ से लाऊँ ऐसे शब्द
जो एक माला में पिरो
मैं भी इतरा जाऊँ
नित ये इतिहास के पन्ने
किसी न किसी की गाथा सुना इतराते हैं
कहाँ से लाऊँ ऐसे शब्द
जो लोगों की जुबाँ पे चढ़ जाऊँ
चुन चुन शब्द मैं भी इतिहास में
नाम अपना अमर कर जाऊँ

लिखने बैठती भी हूँ तो
कुछ शब्द दिल दुखा जाते हैं
रह रह शब्दों की गूँज
कानों में बजा खुश हो जाते हैं
अच्छे शब्द कब आत्मविलिन हो जाते हैं
अपना पता भी न बता कर जाते हैं
अब तुम ही बताओ
अच्छे शब्द कहाँ से लाऊँ
सुरमई माला की जिसे मैं सखी बना पाऊँ
चुन चुन शब्द मैं भी इतिहास में
नाम अपना अमर कर जाऊँ

डरती हूँ दुनिया की इस भीड़ में
कहीं खो न जाऊँ
शब्दों की इस भीड़ में
अपने आप को तराश मैं न पाऊँ
ए जिन्दगी अब तू ही बता
इस रँग बिरंगे शब्दों की इस दुनिया में
कौन से ऐसे शब्द मैं अपना जाऊँ
जिससे दिल मेरा बोले
तू सही है क्यों तू इन शब्दों के
झमेले में पड़ी है
गीता के सार से तू कुछ अच्छे शब्द चुरा ले
उन्ही शब्दों की तू अपनी माला बना ले
एक बार सखी दिल मेरा बोले य
ये तो चोरी हुई
फिर दिल बोले मेरा
कान्हा भी तो माखन चुराते थे
फिर उनके शब्दों के ज्सअथाह सागर से
एक मटकी शब्द जो मैं चुरा लाऊँ
तो चोर मैं भी न कहलाऊँ
अब किस सोच में डूबी है
अब तू लिख डाल तुझे जो लिखना है
शब्दों के माया जाल तो कभी न खत्म होंगें
तू लिख डाल तुझे जो लिखना है
बस इतना तू याद रखना
ईश्वर को तुझे न कभी भूलना है
उनकी छत्र छाया में रह ही
तुझे जीवन बिताना है