दर्द
निशान है दामन पर और दर्दे जिगर भी है।
नब्ज ढल रही है अभी कुछ शहर भी है।
डर गया है दिल मेरा मिज़गा को देखकर।
अब मेरी सिम्त उठी कातिल नजर भी है।
नब्ज ढल रही है अभी कुछ शहर भी है।
डर गया है दिल मेरा मिज़गा को देखकर।
अब मेरी सिम्त उठी कातिल नजर भी है।