Ek बेटी का दुःख
बाबा मै भी तो बिटिया तेरी हुँ,
मैं भी कितनी प्प्यारी हूँ,
फिर मुझे क्यो छोड़ रहे,
भेज रहे अपने से दूर।
क्यो आजतक जो थे अपने,
बना रहे मुझको बेगाने।
यह घर जो भाता था आप सा,
जाने क्यो नही लगता अपना सा,
छूट रहे सब संगी साथी,
छूट रहे इस घर...
मैं भी कितनी प्प्यारी हूँ,
फिर मुझे क्यो छोड़ रहे,
भेज रहे अपने से दूर।
क्यो आजतक जो थे अपने,
बना रहे मुझको बेगाने।
यह घर जो भाता था आप सा,
जाने क्यो नही लगता अपना सा,
छूट रहे सब संगी साथी,
छूट रहे इस घर...