...

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परिंदा
जिंदगी से दूर होकर भी पास हूँ मैं,
हर बीते लम्हें की एहसास हूँ मैं,
बदल दिए हैं मैंने अपने अल्फाज़,
करते हैं आस,ना बचा अब कोई लाज,
पहन कर दर्दों का ताज,
मिटा दिए है हमने अतिथों के लम्हें आज,
जान लिया है जिंदगी का खुबसूरत राज़,
जलज भयों नेत्र हमारे करते हैं अग्रगण्य प्रियवंदा हमपर नाज़,
चपला रहित आकाशों की गहरायियों में हम उड़ते परिंदे बाज़।


_NightingaleShree