खुला पिंजरा
#OnamTales
कैदी बन क़ैद हुए इस कदर ,हसरतों के पिंजरें में,
ज़िंदगी जीना भूल बैठें ,हम यहां चाहतों के मेले में ।
हसीन नज़ारों को नज़र भर ,कभी देख ना सकें ,
थके हुए से क़दम मगर ,पल भर कहीं ठहर न सकें ।
उम्र बीत गई ना हसरतें...
कैदी बन क़ैद हुए इस कदर ,हसरतों के पिंजरें में,
ज़िंदगी जीना भूल बैठें ,हम यहां चाहतों के मेले में ।
हसीन नज़ारों को नज़र भर ,कभी देख ना सकें ,
थके हुए से क़दम मगर ,पल भर कहीं ठहर न सकें ।
उम्र बीत गई ना हसरतें...