...

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वक्त
वक्त की मार ने होशियार कर दिया।
इंसान था बेकार तैयार कर दिया।
तूफान में भी लौ को जलाए रखें।
यूं ही दीपक को बरकरार कर दिया।
खौफ नहीं आता समंदर में अब मुझे।
पानी की रवानी का सालार कर दिया।
परेशानियों का दम भी टूट गया अब।
वक्त ने हर वक्त का हकदार कर दिया।
© abdul qadir