...

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गजल
मोहब्बत मे किसी का यार इतना मजबूर न हो,,
वादा करे,,,फिर वादा-खिलाफी,,,करके दूर न हो,,

जीस्त मे जहनम का लुत्फ मिलता है,,
जिसका यार,,मेरी जाँ बदलता है,,
ख्वाबो का आइना चकनाचूर न हो,,

जो जान होते है,,वही जान ले लेते है,
लबो की लज्जत-ए-मुस्कान ले लेते है,,
दर्द-ए-दिल के जख्म,,नासूर न हो,,

राह-ए-वफा मे बेवफाई की न गुंजाइश थी,,
हमारे इश्क में,,,खुदा की ये साजिश थी,,
उलफत के जुगनु,,महबूब के धोखे से बे-नूर न हो,,