...

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उम्मीद
उम्मीदें अब भी हैं तेरे लौट आने की
चाहत अब भी है तेरे संग मुस्कुराने की

फिर से वही बातें फिर लड़ना झगड़ना
फिर रूठ जाना और खुद ही मान जाना

तुझे देखूं और भुल जाऊँ मैं सबकुछ
और तेरा बिन बात का मूंह फुलाना

न जाने कैसे बिखर गया है सबकूछ
एक कोशिश है फिर से सबकुछ समेट लाना

आखिरी चाहत है सिर्फ तुम मेरे रहो अब
चाहे खत्म ही क्यों न हो जाए ये जमाना