...

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दस्तूर
तेरे चहरे में छुपी होशियारियां देखी हैं मैंने
फुरकत में मेरी गिरफ्तारियां देखी हैं मैंने।

उल्फत में दुहाई देते रह गए वो मुझे
ख्वाबों में आतिश बाज़ियां देखी हैं मैंने।

बेकार बे मतलब तो नहीं रस्म ए उल्फत
काम ना आने वाली परेशानियां देखी हैं मैंने।

कौन समझाएं अब इन उलझे रकीबों को
मोहब्बत में बहुत बे दर्दियां देखी हैं मैंने।।

© Roshan ara