...

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शब्द
कह दो तुम
जो वाकी है अब तक

एक दिन खोकर .
मिट्टी
हो जाऊँगा
फिर "शब्द" न काम आयेगे
मन की टीस
मन में रहेगी
दुनिया विलाप करेगी
और तुम अफसोस भी न कर पाओगी
अँश्रु भरे नयन
वह न सकेंगे
मन की प्रीत
कह न सकेंगे

कह दो तुम
जो बाकी है अब तक

दीवारें मन की गिरानी होंगी
नई इबारत कहनी होगी
दिल की बात
दिल को सुनानी होती

कह दो तुम

जो वाकी है अब तक
© रविन्द्र "समय"