सोचूं उसको जब भी मैं
एक खुशबू उसके जिस्म की
पागल बनाती है मुझे
सोचूं उसको जब भी मैं
पास आ जाती है वो मेरे..
ज़िंदगी का किनारा है वो
रूह से जिस्म से मिलने का
एक खुबसूरत नज़ारा है वो..
आगोश में...
पागल बनाती है मुझे
सोचूं उसको जब भी मैं
पास आ जाती है वो मेरे..
ज़िंदगी का किनारा है वो
रूह से जिस्म से मिलने का
एक खुबसूरत नज़ारा है वो..
आगोश में...