...

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"माँ"
सुबह उठो तो पहले पूछे, चाय बनाऊ
सोने से पहले सब देखे, क्या क्या मैं अब और बताऊँ

एक दफा जब जिस्म तपा था, रात घनी थी
खुदा बनी वो एक अकेली, कैसे ये तकलीफ उठाऊं

मत्थे पे पट्टी को बांधे, काम करे जब
सोने के पहले मैं उसके पैर दबाऊं

अब वो कमरा खाली है, तस्वीर लगी है
तुझको ढूंढो दर दर, "माँ" मैं कहाँ कहाँ जाऊँ
© सारांश