...

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स्वार्थ के पुतले अभी भी अड़े हैं
जीवन का प्रतीक, यह लाल सिंदूर।
दिन का उजाला, हृदय का नूर।।
निशा में सैर, करते हैं हम।
पर तब भी देखो, मिलते हैं गम।।
गमों का मिलना, कैसी वफा है?
समय का...