...

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इस बार याद आये तुम
किसी को कितना सम्भाले रखे अपने मन में
मन है कि हर वक्त तुम पर शक् रखता है
कि आओगे कि नहीं आओगो
अब हर वक्त अजीबोगरीब बातें बनाता है
वो तो प्रेम को भी अपवित्र करता रहता है
मन है तो क्या ही करें,
किसका मन किसके वश में रहता है।

पर एक ह्रदय है जो हर बात को स्पष्ट रखता है
कोई शिकायत का कारण नहीं बनता
स्मृतियों के साथ भावनात्मक जुड़ाव रखता है बस इस बार याद आये तुम
एक -एक साँस में भर गए तुम


© ajeetsooryoday