...

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मजहब़ या देश
मजहब़- मजहब़ के दुविधा में है देश मेरा ।
खूनी का मजहब़ बतायें या फिर मजहब़ का खून होने से बचायें।
बताओ देश बचायें या फिर मजहब़ बचायें।
कहो सत्ताधारी
देश खतरे में है या फिर मजहब़ खतरे में है?
डूब रहा है देश मजहब़ की धार में ,कट्टरता की राह में।
खो रहा है कहीं भारत का अस्तित्व मजहब़ की चाह में।