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एक उम्र बितानी है !!
ये कविता मैने 2021 मे लिखी थी !!

एक उम्र बितानी है फिर लौट के जाना है
मुस्कान छा जाती है लबों पर
शांति भी गहराती है
एक अध्भुत अहसास की
तरंग दौड़ जाती है
हो जाते हैं फिर मौन
होश की नज़रें खुलती हैं !
मन मे एक विचार अविरल बहता जाता है

के यहाँ आखिर कब तक ये सफ़र चलना है
बस एक उम्र बितानी है फिर लौट के जाना है!!

फिर अदम्य साहस आता है भुजाओं में
शक्ति भी स्वतः आती है
एक पारलौकिक परछाई की
मौजुदगी भी साथ आती है
हो स्थिर अपने मन में
अंदर एक ज्योति दिखती है
अंतर में एक प्रकाश पुंज खिलता है
मन मे एक विचार अविरल बहता है

के यहाँ आखिर कब तक ये सफ़र चलना है
बस एक उम्र बितानी है फिर लौट के जाना है !!!

उत्सुकता का एक सागर लिए हुए स्वयं में
एक नाटक की कला चलती है
प्रारब्ध क्या है! समय क्या है!
सब कुछ मानो ज्ञात है
हो स्थिति में स्वीकृति की
नेत्रों में चमक आती है
कोमल हृदय में कमल खिल जाता है
मन मे एक विचार अविरल बहता है

के यहाँ आखिर कब तक ये सफ़र चलना है
बस एक उम्र बितानी है फिर लौट के जाना है !!

जीवन ही शेष रह जाता है मात्र जीवन में
जटिलताओं की धूल उड़ जाती है
हर समय बन जाता है
उत्सव का उल्लास का क्षण
हो परम पवित्रता की वर्षा
उसमें व्याप्त सब ठहर जाता है
मन मे एक विचार अविरल बहता है

के यहाँ आखिर कब तक ये सफ़र चलना है
बस एक उम्र बितानी है फिर लौट के जाना है !!!



© ✍🏻sidd

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