गम-ये- शायरी
जितनी करीब हम उनके जाते गए।
उनके गमों को गले से लगाते गए ।।
उन्होंने उतने ही जख्म दिए।
हम जितनों पर मरहम लगाते गए।।
जब हो गए दर्द बस से बाहर।
तो लिख लिख कर शायरी बनाते गए।।
© aham bramhasmi
उनके गमों को गले से लगाते गए ।।
उन्होंने उतने ही जख्म दिए।
हम जितनों पर मरहम लगाते गए।।
जब हो गए दर्द बस से बाहर।
तो लिख लिख कर शायरी बनाते गए।।
© aham bramhasmi
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