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अपने भीतर की खोज
*अपने भीतर की खोज*

दुनिया के सागर में हम, खोजी बनकर उतर गये
मिला बहुत कुछ मगर, अपनों से हम छितर गये

हर खोज का उद्देश्य था, मन को सुकून दिलाना
कठिनाइयां दूर करके, जीवन को सुगम बनाना

इतने अविष्कार करके भी, जीवन से हुए निराश
नींद गंवाकर किया है, अपने आराम का विनाश

जिस ख़ोज में जाना था, उस मार्ग से हम भटके
अनेक परेशानियों में हम, खुद ही आकर अटके

बाहर सारा संसार देखा, थोड़े तो भीतर भी आते
मुलाकात होती खुद से, अपना परिचय भी पाते

बाहर भटकना छोड़कर, अपने अंतर्मन में आओ
अपने आत्म स्वरूप का, तुम पूरा परिचय पाओ

आत्म दर्शन करके तुम्हें, शांति का होगा अनुभव
रोज ये अभ्यास करके, शांति पाना होगा सम्भव

अपने भीतर की खोज का, करते रहना अभ्यास
सच्चा सुकून पाओगे तुम, खुद पर रखो विश्वास

*ॐ शांति*

*मुकेश कुमार मोदी, बीकानेर, राजस्थान*