...

5 views

राहों पर
इन राहों पर तन्हाई बरसो से है,
मगर मेरे भीतर तेरे जाने के बाद से है....
राहों पे सूखे पत्ते झड़ गए है,
मेरे दिल के नजाने कितने टुकड़े बिखरे है....
ये सड़के,शाखाये बारिशों में भीगी है,
मेरी आंखे मगर हर बार तेरी याद में भीगी है....
इन राहों पे अब किसी मुसाफिर का सफर नही है,
तेरे बाद मेरे दिल पे किसी का कोई हक नही है.....
आज मेरे खिड़की पर तितलियों दस्तक दी है,
लगता है उनको तेरे लौटने की खबर मिली है....


© Amrapali