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जुदाई
© Roshan ara
दगा नहीं उसके दिल में खोफ ए खुदाई थी
सोचा नहीं था लेकिन किस्मत में जुदाई थी।
फितना ए दौर में भटक ता ही रह गया
बे मेहर सी ज़िंदगी में लिक्खी रिहाई थी।
सुबह ए यमन सी लगी ये हसीं दुनियां
खिश्त जारों सी रंज ए मसाफत छाई थी।
मुद्दतों से लग रही मुशक्कत में ये ज़िंदगी
अपनी ही कुर्बत में सजी मेरी परछाई थी।
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