...

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बेटी की विदाई
बेटी की विदाई ....

ये न समझो जुदा हो रही हूँ
मैं हूँ बेटी बहु बन रही हूँ
हाँ तेरी हू-ब-हू बन रही हूं,,



रीतियों के चलन चल रही हूं
हां माँ ! बिछिया पहन चल रही हूँ
नाक नथिया पहन चल रही हूँ
माँ ! क्या सच मे ? दुल्हन बन रही हूँ,,



थाम दामन सजन चल रही हूँ
झुमके कंगना पहन चल रही हूं
माँ ! थाम मुझको किधर जा रही हूँ
तू भी चल मैं जिधर जा रही हूँ,,



माँ ! पापा किस बात पे रो रहे हैं
बोलो किस दर्द में खो रहे हैं
तुम भी कुछ क्यों नही कह रही हो
ऐसे चुप चाप क्यों रो रही हो,,



माँ ! देख भैया उधर रो रहा है
जानें किस बात से डर रहा है
डर भी डरता है जिससे उसे भी
देखो खंभा पकड़ रो रहा है,,



माँ ! मेरी किस्मत की रेखा
जो तेरी हाथ होकर गुजरती
टूटने ना तू देना कभी भी
थाम लेना अगर कुछ हुआ तो
प्रार्थना तुझसे मैं कर रही हूँ,,


माँ अब मैं विदा हो रही हूँ
ये न समझो जुदा हो रही हूँ ....