...

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विद्यालय की खट्टी-मीठी यादें
हम अलग हो जाएँ तो क्या अज्ञात नहीं हो जाएँगे।
महकेंगे एक दूसरे के दिल रुपी आँगन में चहक जाएँगे।
तन से तो जाना हमारी मजबूरी है पर मन से न जा पाएँगे
मन की यादों को कागज बना कर सम्बंधों को लिखना अच्छा लगता है।

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