...

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रंजीशे भुला देना...!
फुर्सत मिले जब भी
रंजिसे भुला देना.........
कौन जानें सांसों कि
मोहलते कहां तक है,
आओ जांच लेते हैं
दर्द के तराजू पर
किसके गम कहां तक है
सिद्धते कहां तक है,
एक शाम आ जाओ
खुल कर हाले दिल कह ले..
कौन जानें सांसों कि
मोहलते कहां तक है,
कुछ अजीज लोगों से
पूछना तो पड़ता है...
आज कल मोहब्बत की
पैमाने कहां तक है...
फुर्सत मिले जब भी
रंजिसे भूला देना...
कौन जानें सांसों की
मोहलते कहां तक है...!