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अल्फाज💔
ये दिल बस करते हैं ना ,
अब कितना दर्द झेलेगा तू,
ठीक हूं झूठे मुस्कान के साथ,
कब तक दुनियां से बोलेगा तू।।
हर रोज टूट रही है ,
पर फर्क पड़ता नहीं बोलती ,
अंदर ही अंदर खुदको
दर्द की तराजू में तोलती।।
बिखर गई तो कोन समेटेगा,
कोई साथ नहीं तेरे,
कब तक तड़पेगी अंदर से,
अंधेरे मे तन्हाई को घेरे।।
तकलीफें अंदर से बहुत है,
बस तू अब जताना नहीं चाहती,
बिखर रही हैं तेरी रूह,
ये किसीको बताना नहीं चाहती।।
बस इंतजार है उस सुकून का,
जो पता नहीं कहा मिलेगी,
जब खुश होगी तेरा होठ,
दिल भी खुश हूं बोलेगी।।
अब कितना दर्द झेलेगा तू,
ठीक हूं झूठे मुस्कान के साथ,
कब तक दुनियां से बोलेगा तू।।
हर रोज टूट रही है ,
पर फर्क पड़ता नहीं बोलती ,
अंदर ही अंदर खुदको
दर्द की तराजू में तोलती।।
बिखर गई तो कोन समेटेगा,
कोई साथ नहीं तेरे,
कब तक तड़पेगी अंदर से,
अंधेरे मे तन्हाई को घेरे।।
तकलीफें अंदर से बहुत है,
बस तू अब जताना नहीं चाहती,
बिखर रही हैं तेरी रूह,
ये किसीको बताना नहीं चाहती।।
बस इंतजार है उस सुकून का,
जो पता नहीं कहा मिलेगी,
जब खुश होगी तेरा होठ,
दिल भी खुश हूं बोलेगी।।
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