विश्वास की कहानी
ना तेरी जुबानी ना मेरी जुबानी
यह विश्वास की है कहानी
नाम था जिसका श्यामू
छोटे से गांव में रहता था
सूरज की धूप और ठंड सहता था
न मां कि ममता न पिता का साया
उसके काम कभी कोई ना आया
जीवन की एक आस समय पर
कर विश्वास उसने एक मुकाम बनाया
पैसों की रद्दी हो पास
तो गांव क्या घर का आदमी भी है खास
© Dharmendra
यह विश्वास की है कहानी
नाम था जिसका श्यामू
छोटे से गांव में रहता था
सूरज की धूप और ठंड सहता था
न मां कि ममता न पिता का साया
उसके काम कभी कोई ना आया
जीवन की एक आस समय पर
कर विश्वास उसने एक मुकाम बनाया
पैसों की रद्दी हो पास
तो गांव क्या घर का आदमी भी है खास
© Dharmendra