...

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विश्वास की कहानी
ना तेरी जुबानी ना मेरी जुबानी
यह विश्वास की है कहानी
नाम था जिसका श्यामू
छोटे से गांव में रहता था
सूरज की धूप और ठंड सहता था
न मां कि ममता न पिता का साया
उसके काम कभी कोई ना आया
जीवन की एक आस समय पर
कर विश्वास उसने एक मुकाम बनाया
पैसों की रद्दी हो पास
तो गांव क्या घर का आदमी भी है खास

© Dharmendra