चांद उतारा जाये...🌚🌚✍️✍️ (गजल)
बिना महबूब के वक्त कैसे गुजारा जाये
मोहब्बत हमें भी दो तो क्या तुम्हारा जाये
बहुत अंधेरा सा है मेरी कुटिया में साहब
अब आसमान से यहां चांद उतारा जाये
खुद ही मिटाना पड़ेगा खुद का गम 'सत्या'
इस मुश्किल घड़ी में किसको पुकारा जाये
मिट जायेगी सारी तकलीफो थकान...
मोहब्बत हमें भी दो तो क्या तुम्हारा जाये
बहुत अंधेरा सा है मेरी कुटिया में साहब
अब आसमान से यहां चांद उतारा जाये
खुद ही मिटाना पड़ेगा खुद का गम 'सत्या'
इस मुश्किल घड़ी में किसको पुकारा जाये
मिट जायेगी सारी तकलीफो थकान...