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🥰वह हयात।
वह है तो सजा है द्वार आँगन जन्नत
वह संग संग तो पूरी हर मन्नत
वह है फिर तो
सजा सजा है दिन रात
सच वह हीं है सृजन की हयात।।
वह तो चहुंओर पसरा बरक्कत
वह विधाता की सबसे प्रिय नेमत
वह है फिर तो
कदम दर कदम नित्य नई बात
सच वह हीं है सृजन की हयात।।
वह सबसे अनमोल एक रत्न
वह तो दिग और दिगन्त
सिर पर ले हाथ उसका
फिर कहाँ कोई हार आघात
सच वह हीं है सृजन की हयात।।
आओ मिलकर परिवेश सजाए
उस बिन कौन जीवन जिया
वह अपनी धिया
शोभा वह सृष्टि की सच है
उसे चलो सजाए,चलो बचाए।।
✍️राजीव जिया कुमार,
सासाराम,रोहतास,बिहार।।
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© rajiv kumar