डूबती आंखें
आज आंख बंद करके सोना चाहती हूं,
दिल खोल के रोना चाहती हूं,
पता नहीं किस्मत के पन्नों को क्या रास आया कभी हंसाया कभी रुलाया ।
दिल के दर्द को कोई समझ ना पाया ,
या मैं समझा ना पाया ।
दूर बैठा सूरज मुझ पर हंसता है,
क्या डूबने के बाद भी कोई नमस्कार करता है।
पर मैं बोली ,तुम सूरज हो इसीलिए नमस्कार किया ,
मुझे ना पता था तुमने हंसकर मेरा...
दिल खोल के रोना चाहती हूं,
पता नहीं किस्मत के पन्नों को क्या रास आया कभी हंसाया कभी रुलाया ।
दिल के दर्द को कोई समझ ना पाया ,
या मैं समझा ना पाया ।
दूर बैठा सूरज मुझ पर हंसता है,
क्या डूबने के बाद भी कोई नमस्कार करता है।
पर मैं बोली ,तुम सूरज हो इसीलिए नमस्कार किया ,
मुझे ना पता था तुमने हंसकर मेरा...