•सोने नही देती•
बत्ती तो मैंने बुझा दी,
मगर अन्दर की आग का क्या,
ये आग मुझे सोने नहीं देती।
कितने उतार देख लिए,
ये चढ़ाव की आस मुझे रोने नही देती।।
टिक-टिक करता समय चल रहा,
धीरे धीरे दिन बदल रहा,
दिन बिता फिर आज रात आयी
बत्ती तो मैंने बुझा...
मगर अन्दर की आग का क्या,
ये आग मुझे सोने नहीं देती।
कितने उतार देख लिए,
ये चढ़ाव की आस मुझे रोने नही देती।।
टिक-टिक करता समय चल रहा,
धीरे धीरे दिन बदल रहा,
दिन बिता फिर आज रात आयी
बत्ती तो मैंने बुझा...