...

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महासागर (विद्या)
सबसे पहले जो ना था वह भी था
जो आज है और नहीं भी
अर्थात
हम जो देखते हैं
कभी कभी
उसी पे विश्वास कर लेते हैं
सत्य जानने कि कोशिश में नहीं
और पढ़ें लिखें
ज्ञानी होने पर भी आज्ञानी
जैसा आचरण करते हैं
पढ़ा लिखा स्रीफ पढ़ने लिखने से नहीं आता हैं पूरा
पूरा विद्यालय और अन्य रूपों में
कई दिनों के अनुभव से प्राप्त होता है


विद्या वह अथा सागर कि
गहराई कि तरह है
जितना ग्रहण करना चाहोगे उतना ही खुद मैं समा चलते ले जायेगा

विद्या जीवन भर अंतिम समय तक सफल और उसके बाद भी एहसास हो साथ साथ सीखा सत्या दिखा राह चलते जाना कहते रहेगा।।
आपका सच्चा मित्र बन।।


बबिता कुमारी