...

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तुम्हारा न होके भी होना
क्यों तुमने कुछ कहा नहीं, क्यों मैंने कुछ सुना नहीं. दोनों की ये कैसी मज़बूरी थी?

क्यों तुम मुझसे दूर हो रहे थे,
क्यों मैं तुम्हारे पास होते हुए भी दूर था.
क्यों ये सफ़र सुहाना न हो के सिर्फ एक बहाना रहे गया.

क्यों तुम्हारे दिल में, मैं तनहा हो गया.
क्यों मेरा दिल तुम्हे अन्जान कहता है.

क्यों तुम मेरे ख्वाबों में, आज भी मेरी हो.
क्यों मैं तुम्हारी हर हिच्चकी की वजह हूँ.

क्यों हमारा प्यार एक बचपन की तरह है, जो मासूम और प्यारा तोह है,लेकिन ज्यादा देर तक साथ नहीं होगा.

क्यों मेरी रातों को तुम्हारी सुबह का इंतज़ार रहता है.
क्यों तुम्हारी सुबह मेरे श्याम की तलाश में हैं.

क्यों मेरा मन तुम्हारे होने का अहसास, न होते हुए भी देता है.

क्यों लोग प्यार को दर्द का नाम देते हैं जब कि तुम मेरे नहीं हो सकते फिर भी ये प्यार तुम्हारे होने का सुकून देता है और तुम्हारी यादें मुझे ख़ुशी देती है.

क्यों मैं चाह के भी दर्द महसूस नहीं कर सकता, ऐसी तोह क्या दिव्यता है इस प्यार में जो मुझे सिर्फ सुकून देता है.
© Nit