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दिल
बड़ा क़ातिल है ये दिल मेरा,
ये ज़ुल्म बड़े शिद्दतों से ढाता है।
मुस्कुराता हूँ तन्हाई में जब भी,
बस हिज्राँ की याद दिलाता है।
था कोई रहगुज़र बस नाम का,
महफ़िल में दिल अजीज़ बुलाता है।
वो हर मर्तबा जब घर पे होता है,
हर बात पर बस जी चुराता है।
ऐसी है फ़ितरत सितमगर की मेरे,
वो बाहर से मासूम नज़र आता है।
शब-ए-हिज्र वो ऐसे रुख़्सत हुआ,
वो शदीद लम्हा हर बार याद आता है।
हम तो गये थे अलविदा कहने,
एक बार भी नज़र न मिलाता है।
बड़ा ही मासूम है बेख़बर दिल,
ये महफ़िल में तन्हा नज़र आता है।
© Amit✍️...
शब-ए-हिज्र : बिछड़ने की रात (the night of separation; in love)
शदीद : नाज़ुक (sensitive, severe)
#गज़ल #brokenheart #OneSideLove
#breakup #poetry #love
#yourquote
image credit : Pinterest
ये ज़ुल्म बड़े शिद्दतों से ढाता है।
मुस्कुराता हूँ तन्हाई में जब भी,
बस हिज्राँ की याद दिलाता है।
था कोई रहगुज़र बस नाम का,
महफ़िल में दिल अजीज़ बुलाता है।
वो हर मर्तबा जब घर पे होता है,
हर बात पर बस जी चुराता है।
ऐसी है फ़ितरत सितमगर की मेरे,
वो बाहर से मासूम नज़र आता है।
शब-ए-हिज्र वो ऐसे रुख़्सत हुआ,
वो शदीद लम्हा हर बार याद आता है।
हम तो गये थे अलविदा कहने,
एक बार भी नज़र न मिलाता है।
बड़ा ही मासूम है बेख़बर दिल,
ये महफ़िल में तन्हा नज़र आता है।
© Amit✍️...
शब-ए-हिज्र : बिछड़ने की रात (the night of separation; in love)
शदीद : नाज़ुक (sensitive, severe)
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