दिल
बड़ा क़ातिल है ये दिल मेरा,
ये ज़ुल्म बड़े शिद्दतों से ढाता है।
मुस्कुराता हूँ तन्हाई में जब भी,
बस हिज्राँ की याद दिलाता है।
था कोई रहगुज़र बस नाम का,
महफ़िल में दिल अजीज़ बुलाता है।
वो हर मर्तबा जब घर पे होता है,
हर बात पर बस जी...
ये ज़ुल्म बड़े शिद्दतों से ढाता है।
मुस्कुराता हूँ तन्हाई में जब भी,
बस हिज्राँ की याद दिलाता है।
था कोई रहगुज़र बस नाम का,
महफ़िल में दिल अजीज़ बुलाता है।
वो हर मर्तबा जब घर पे होता है,
हर बात पर बस जी...