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विभिन्न आयामो पर प्रेम.....❤️❤️
प्रेम कभी नही होता है ओर प्रेम कभी भी किसी एक पर आश्रित नही होता प्रेम तो प्रकृति मे पहले से ही मौजूद रहता है जो समय-समय पर महसूस होता रहता है। ओर मोह है जो वो प्रेम का प्रतिद्वंदी भी है ओर प्रेम का एक छोटा सा भाग भी है, जेसे एक छोटे बच्चे को एक खिलोना या मां कि गोद इतनी प्रिय होती है जिसके लिए वो किसी से भी लड जाता है, अब थोड़ा बडा होता है तो वो प्रेम दोस्तो के लिए हो जाता है अब उसे खिलाने इतने प्रिय नही रहते। ओर जब वह जवान होता है तो किसी लड़की/लडका कि ओर भागता है। फिर वो अपने बच्चे कि ओर चला जाता है, फिर पोते ओर भक्ति कि ओर लगता है। ओर...