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कुछ कह न सके।।
कहने के लिए तो बहुत कुछ था
पर जाने अज़ीब कसक सी थी
क्यों जाने कुछ हिचक सी थी
बस आँखों में नमी सी थी
लब सिहरते ही रहे
कुछ कह न सके....😢😢
सूनने के लिये भी बहुत कुछ था
पर जाने विचित्र शर्माहट सी थी
जी में कुछ घबराहट सी थी
हृदय में कुछ लज़्ज़ा सी थी
बस वो मुझे निहारते रहे
कुछ सुन न सके......
।।स्वाति।।
पर जाने अज़ीब कसक सी थी
क्यों जाने कुछ हिचक सी थी
बस आँखों में नमी सी थी
लब सिहरते ही रहे
कुछ कह न सके....😢😢
सूनने के लिये भी बहुत कुछ था
पर जाने विचित्र शर्माहट सी थी
जी में कुछ घबराहट सी थी
हृदय में कुछ लज़्ज़ा सी थी
बस वो मुझे निहारते रहे
कुछ सुन न सके......
।।स्वाति।।
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