...

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दोस्ती की दास्ताँ...
ये पलकें भी बेसबब भीग गयी और आँखों ने बेमौसम वाली बरसात की,
जब मेरे इक दोस्त ने मिलकर, मुझसे फिर कभी ना बिछड़ने की बात की।

उसने पूछा क्या कभी मेरी शरारतें, मेरी बातें, मेरा ख्याल तक नहीं आया,
मैंने कहा जिंदगी की उलझनों के चलते मन में कोई सवाल ही नहीं आया।

वो देर तक तकती रही मेरी आँखों में शायद ढूँढ रही थी कुछ गुज़री यादें,
उसकी आँखों की गहराईयों में भी सिमटी हुई थी कुछ जायज़...