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मुहब्बत में बिछड़ने के दौर के बाद...
मुहब्बत में बिछड़ने के दौर के बाद
बहुत कोशिशें की जाती हैं
बस एक बार मिलने के लिए
मगर कोशिशें नाकाम रहती है
मन में हूक उठती है,
दिल बैचैन होता है
आँखें रोती हैं

दो प्रेमी एक दूसरे को
संदेशों के जरिये ढाँढस बंधाते हैं
मुश्किल दौर है गुजर जाएगा
हम मिलेंगे,
भगवान इतना निर्दयी नहीं हो सकता
सुनो क्या हुआ जो
मिल न पाए
पर मुहब्बत तो दिलों में है न

यूँ एक दूसरे को बहलाकर
रोते हैं दोनों एक दूजे को याद करके
क्या सच्ची वो मिल पाएंगे
कौन बता सकता है
पर मुहब्बत की एक खासियत है
मुहब्बत हमेशा
दूरियों से अपरिमित हो जाती है

हम मिलेंगे के इस जंजाल में
दोनों प्रेमी फँसे रह जाते हैं
वक़्त गुजरता है, एक समझौता होता है
मन से मन का, अभी नहीं पर कभी तो...
मिलेंगे ही, भगवान ने ही तो मिलाया था
एक दिन सब बातें धरी रह जाती हैं
वो दोनों कभी न मिलते
यूँ ही दूर दूर रहकर मर जाते हैं
पर मुहब्बत नहीं मरती
हम दोनों मुहब्बत करेंगे
मिलने की बात नहीं
क्योंकि हम मर जायेंगे
मुहब्बत कभी न मर पाएगी....

संजय नायक"शिल्प"
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