...

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क्या मैं इक शायर हूँ ..!!
क्या मैं इक शायर हूँ ...!!
कभी इतनी गहराई से सोचा नहीं ...
मैं शायर हूँ या नहीं ..???

अचानक ये ख़याल मन में आया
क्या लिखती हूँ मैं ?

मन के जज़्बातों को ,
महसूस हुई एहसासों को ,
उन सारी अनकहीं बातों को ,
सिर्फ क़लम की स्याही से ....
कोरे काग़ज़ पर रंगती हूँ !

मेरी इन भावनाओं को ....
क्या शायरी का नाम दिया जा सकता हैं ...???
'कुछ हूँ ' या फिर 'कुछ भी न हूँ '...
पता नहीं मुझे... मैं शायर हूँ या नहीं हूँ ...!!!