4 views
मौसम
#जून
चार जून की बात है
उसमें भी कुछ घात है
कौन बनेगा समय का साहु
किसमे ऐसी बात है ,
मेग घिरते आसमा पर सा ,
जैसे कुछ बड़ी चुनौती सा
ये रोशनी पल भर की ये आसमा
मै आशा दे सच्चाई का
फूठती ये बरीशे जैसे पंखुरी फूल सी
सुकून देती जग को पूरे ये पंखुरी आसमा की
© anonymous writer
चार जून की बात है
उसमें भी कुछ घात है
कौन बनेगा समय का साहु
किसमे ऐसी बात है ,
मेग घिरते आसमा पर सा ,
जैसे कुछ बड़ी चुनौती सा
ये रोशनी पल भर की ये आसमा
मै आशा दे सच्चाई का
फूठती ये बरीशे जैसे पंखुरी फूल सी
सुकून देती जग को पूरे ये पंखुरी आसमा की
© anonymous writer
Related Stories
4 Likes
0
Comments
4 Likes
0
Comments