...

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दे दो पुरानी पेंशन हमारी
जीकर देखो एक बार तुम जिन्दगी हमारी...
कर दोगे तुम भी पुरानी पेंशन की बहाली...
1).*अगर मैं सिपाही हूँ,*
करता हूँ रखवाली घर अपना छोड़कर तुम्हारी...
चाहे तुम्हारा रोड-शो हो या हो विदेश यात्रा की तैयारी...
*दे दो पुरानी पेंशन हमारी...*

जीकर देखो एक बार तुम जिन्दगी हमारी...
कर दोगे तुम भी पुरानी पेंशन की बहाली...

2). *अगर मैं शिक्षक हूँ,*
पढ़ाता हूँ बच्चों को तुम्हारे,
अच्छा इंसान बने पूरी कोशिश के साथ
हमारा भी बुढ़ापा कटे अच्छा...
दे दो पुरानी पेंशन हमारी...

3).*अगर मैं डाक्टर हूँ,* करता हूँ इलाज,
कोरोना जैसी महामारी में भी
जान तो सबको रहती है प्यारी
अपनी जान की बाजी के बदले,
*दे दो पुरानी पेंशन हमारी...*

जी कर देखो एक बार तुम जिंदगी हमारी...
कर दोगे तुम भी पुरानी पेंशन की बहाली...

4).*अगर मैं फौजी हूँ,*
करता हूँ रक्षा खुद से पहले तुम्हारी...
दुश्मन तुम तक ना पहुँचे यह कमान हमने संभाली
अगर देश से तुम्हें प्यार है तो...
*दे दो पुरानी पेंशन हमारी...*

जी कर देखो एक बार तुम जिंदगी हमारी...
कर दोगे तुम भी पुरानी पेंशन की बहाली...

5).*देश की सेवा मैं चाहे जिस रूप में करूँ*
हमारी सेवाओं के बिना क्या
पहचान है तुम्हारी...?
फिर क्यों मेरी अंतिम साँस की पूँजी तुम पर पड़ती है भारी...?
*दे दो पुरानी पेंशन हमारी...*
जी कर देखो एक बार तुम जिंदगी हमारी...
कर दोगे तुम भी पुरानी पेंशन की बहाली...
*दे दो पुरानी पेंशन हमारी...*
*दे दो पुरानी पेंशन हमारी...*
*स्वरचित-सोनाली तिवारी "दीपशिखा" *(एक पेंशन विहीन कर्मचारी)*