...

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कसम से
हा कसम से तुम याद आते हो,
आंखो मे नमी बनके मेरे गालों को आज भी छू जाते हो
बारिश की बूंदे बनके मुझे गले लगाते हो
महसूस तुम्हें करती हु जब हवा के झोके मेरी जुल्फो में उलझते है तुम्हारी अहमियत समझ आती है जब अपने रिश्ते रंग बदलते है,
मैं क्या कहूं है अल्फाज नही मैं कैसे रहु जो तू मेरे पास नही
हा कसम से तुझसा मिला आज तक कोई खास नही और हमे कसम से जूठे प्यार की तलाश नहीं,
अब तू मेरे इंतजार में उम्र भर सामिल है तेरे सिवा मेरी कोई और नहीं मंजिल है,
जहा भी गए हो सुनो जल्दी लौट आना कसम से इंतजार कर रहे है तुम ये ना भूल जाना
तुम जब सीने से लगा के मेरे बालो को सहलाओगे तो कही मेरे दिल को सुकून आयेगा जाने कबसे थकी मेरी आंखो को तब जाके आराम आयेगा
हा सच कसम से तुम याद आते हो।
हा कसम से तुम याद आते हो।


© @kajalgupta