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नज़र
जिन लोगों ने मुझे देखा मैं उन्हें वैसा नज़र आया हूं
किसी को दरिया किसी को कतरा नज़र आया हूं
हो गया हूं लबरेज सा ख़ामोश मैं
और कभी मैं खुद में बोलता नज़र आया हूं
यूं भी मुझे भी शिकायत है कुछ लोगों से
लोगों कि शिकायत में मैं अक्सर नज़र आया हूं
और तेरे आने जाने से दिल मोहल्ला खुश नहीं
क्यूं आईने में मैं भी उदास नज़र आया हूं
चलो छोड़ो भी ये ज़िस्म कि बातें
तनहा रूहो में भी तनहा नज़र आया हूं
© Narender Kumar Arya
किसी को दरिया किसी को कतरा नज़र आया हूं
हो गया हूं लबरेज सा ख़ामोश मैं
और कभी मैं खुद में बोलता नज़र आया हूं
यूं भी मुझे भी शिकायत है कुछ लोगों से
लोगों कि शिकायत में मैं अक्सर नज़र आया हूं
और तेरे आने जाने से दिल मोहल्ला खुश नहीं
क्यूं आईने में मैं भी उदास नज़र आया हूं
चलो छोड़ो भी ये ज़िस्म कि बातें
तनहा रूहो में भी तनहा नज़र आया हूं
© Narender Kumar Arya
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