...

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वो मां नही सच में कसाई होगी
जब धरा पर वो ननी सी परी आई होगी,
मां के आंचल में खुशियां समाई होगी।।
लेकिन क्या पता यारो प्यार देने वाला,
मौत देगा वो मां नही कसाई होगी।।

जो नोकरी के लिए अपने पति के संग,
अपनी बच्ची को पानी में बहाई होगी।।
इतने गिर जाते है पढ़े लिखे लोगो के जमीर,
रूहानियत के मंदिर में केसे इनकी रिहाई होगी।।

इंसानों के अजीबो गरीब दिलों के रेसे हो गए,
इंसानियत से बड़े इनके लिए आज पैसे हो गए।।
बहुत टूट सा जाता है दिल मेरा घटना सुनकर,
है मालिक आजकल तेरे इंसान ऐसे कैसे हो गए।।

रूह टूटी सबका दिल टूटा,
उजड़ा मासूम जिन्दगी का बूटा।।
मनोज बड़ी उदास है ये स्वार्थी दुनियां,
पुष्प के चाह में तू क्यूं रूठा।।

जीवन के पुष्प फिर से खिलेंगे,
रब्ब तुम्हें मासूम बच्चियों में मिलेंगे।।
खुद को मिटा देंगे बच्चियों के लिए,
अपने बच्चों के लिए हर सितम सहेंगे।।
फिर नहीं मुरझाएगा पुष्प जीवन का
अगर दिलों में थोड़ी नरमाई होगी
मां नही सच में वो कसाई होगी....😥😥😥

© Manoj Vinod-SuthaR