...

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कुछ ख्वाब हैं टूटे बड़े हैं !!
कुछ ख्वाब हैं टूटे बड़े हैं
सीने में कही चुभ रहे हैं
तू आ जा ये फरियाद करते
सजदे हक में दिन रात करते

आंखे करतीं इंतजारी
दिल में बसी एक चिंगारी
गुस्से का सैलाब भी है
तू जहां है ठीक तो है
आती ऐसी आवाज भी है

बेसक बेपरवाही ने चादर बढ़ा ली
पर कहीं तलक तेरी परवाह भी है
जो बह रही तेरे लिए सिर्फ
उस हवा में तेरी खुशबू बसी है
सीने में तू उतरी हुई है
यादों में तू ही तू बसी है

नजर की फेर मुड़ती नही है
तू इनसे उतरती नही है
साए सी साथ चलती मेरे
जीना मेरा दुश्वार करती
तुझको मेरा ही समझकर
यादें मेरी पुकार करती

नासमझ है दिल ये मेरा
तेरा हर खंजर सहा है
फिर भी तेरा ही रहा है
तुझ पे ही एतबार करता
तेरी नामौजूदगी से भी है प्यार करता

जायज नही ये नजायजी है
जो तू मुझ में यूं बस रही है
चाहूं तुझे या सराह ही लूं
पर तुझमें कैसे पनाह मैं लूं
चल खत्म अपना ये सफर है
ना मैं हमकदम ना तू हमसफर है
राहें अपनी है जुदा सी
कुछ मैं खफा सा कुछ तू खफा सी।।
© Aryman Dwivedi

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