मरघट
बिना बोले जीना है
ये जीने का राज़
गूंगे को चाशनी मिले
मन में बसे मिठास
भीतर भीतर पनप रहा
प्रेम का निज स्वरुप
चैतन्य की बोध...
ये जीने का राज़
गूंगे को चाशनी मिले
मन में बसे मिठास
भीतर भीतर पनप रहा
प्रेम का निज स्वरुप
चैतन्य की बोध...