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मै कौन हूं मेरा वजूद क्या
मै कौन हूं मेरा वजूद क्या ये पूछता ज़माना है।
आंखो में आस और किस्मत आजमाना है।

औरो के जेब भारी और हर शमा सुहाना है।
रिश्तों के साथी और दुश्मनी निभाना है।

जिनकी बातों का मोल दिल भी कातिलाना है।
दबदबा ही बस उनका वक़्त भी मनमाना है।

बात भी अपनी करते तारीफ अपने मुंह के ।
हमने साथ रह के ये हकीकत पहचाना है।

मै कौन मेरा वजूद क्या जानता ज़माना है।


© navneet chaubey