...

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!...चाहत...!
दूर तक जो चलो तो साथ निभाना
मंजिल पे पहुंच के, भूल ना जाना

इस दौर का रस्म है जिस्म की चाहत
भूख मिट जाए तो खो ना जाना

बवफा...